अनर्गल कर लगाकर लोगो पर ही थोपा पानी की व्यवस्था का भार, खुद ही करनी होगी अब जनता को अपनी व्यवस्था

रतलाम/राइजिंग न्यूज़ शहर के हर वार्ड में लगभग पानी की समस्या अब खुलकर सामने आ रही है । कई क्षेत्रों के बोरवेल बंद पड़े है क्योकि उनकी मोटरे ख़राब पड़ी है । जनता इस स्तिथि में आ गयी है कि अब उन्हें अपने निजी खर्चो पर वो व्यवस्था करनी पड़ रही है, जिन व्यवस्थाओ को करने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन और महापौर की होती है । जिन क्षेत्रों में जनता सरकारी बोरवेल से अपने पानी की पूर्ति करती रही है, अब उन क्षेत्रों में उन्हें इस सुविधा में दुविधा हो रही है क्योकि महापौर के तुगलकी फरमान के बाद कोई भी अधिकारी खराब हुई मोटरों को दुरुस्त नही करवा रहे है । कई क्षेत्रों के पार्षद भी अब परेशान हो रहे है क्योकि वो जनता की पानी की समस्या का हल नही कर पा रहे है ।
महापौर का तुगलकी फरमान
निगम के कुछ अधिकारियों ने बताया कि निगम के पास कई क्षेत्रों की खराब पड़ी मोटरों की शिकायत पार्षद, पार्षद प्रतिनिधि या जनता द्वारा आ रही है मगर महापौर प्रहलाद पटेल ने निर्देशित किया है कि अब निगम इन खराब मोटरों को दुरुस्त नही करवाएगा ओर न ही इनका बिजली का बिल भरेगा बल्कि जिस क्षेत्र की मोटरे है उन मोहल्लों की समिति का गठन किया जाएगा और वो समिति ही इन्हें दुरुस्त करवाएगी और इनके बिजली के बिल भरेगी । इस तुगलकी प्रस्ताव को एम.आई.सी में पास किया जा चूका हैं और पिछाले 20 से 25 दिनों से निगम अब बोरवेल की मोटरों को दुरुस्त नही करवा रही हैं ।
निगम नल के बिल पूरे महीने का लेती है मगर जल वितरण मुश्किल से 10-12 दिन ही करती है ।
लोगो मे अब निगम और महापौर की कार्यशैली को लेकर भी गुस्सा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है लोगो का कहना है कि निगम जब पूरे महीने के नल बिल लेती है तो वितरण भी हर रोज़ होना चाहिए मगर निगम जनता के साथ छल करती है मुश्किल से 10-12 दिन ही पानी आता है । ऐसी स्तिथि में जनता अपने पानी की पूर्ति सार्वजनिक बोरवेल से करने को मजबूर है, मगर महापौए के एकतरफा इस तरह के आदेश से जनता अब त्राहिमाम हो चुकी है । अब जनता को नल का बिल भी भरना है और सार्वजनिक बोरवेल का बिजली का बिल भी देना है इसके साथ ही बोरवेल की मोटर को दुरुस्त करने का पैसा भी देना पड़ेगा ।
ज्यादातर बोरवेल गरीब बस्तियों में है
कुछ क्षेत्रों में तो लोग अपने खर्च पर बोरवेल की मोटर सुधरवा भी रहे है । मगर ज्यादातर बोरवेल ऐसी गरीब बस्तियों में है जहां लोग अपने परिवार के पालन पोषण के लिए दिहाड़ी पर आश्रित है । ऐसे क्षेत्रों में लोगो की इतनी कमाई नही है कि लोग इस तरह की मोहल्ला समिति बनाकर बोरवेल को नियमित चला सके । ऐसे में इन गरीब लोगों के मूलभूत अधिकारों की सुरक्षा कौन करेगा । अगर इन्हें पीने का पानी की व्यवस्था भी निगम नही दे सकता तो निगम और महापौर दोनों ही इनके गुनाहगार है । रतलाम में अगर आज़ादी के इतने साल बाद भी लोगो को पानी के लिए खुद व्यवस्था करनी पड़ रही है तो रतलाम के सभी नेताओं की (सांसद, विधायक और महापौर) की सबसे बड़ी असफलता है ।
नैतिकता के आधार पर जल कर, प्रकाश कर आदि लेने का अधिकार निगम को नही होना चाहिए ।
हाउस टैक्स के साथ निगम प्रशासन कई तरह के टैक्स जनता से वसूल करती है । मगर इन टैक्स को लेने का अधिकार तो निगम को पता है, मगर निगम इन टैक्स के बदले में जनता को जो व्यवस्थाये देनी चाहिए जो कि निगम का कर्तव्य है उसे भूल जाती है । निगम के बड़े बड़े विकास के कार्यो की बाते तब थोथि लगती है जब जनता पानी के लिए तरस रही हो, और उन्हें इसकी व्यवस्था भी खुद ही करनी पड़े । अगर निगम और महापौर जनता को मुलभुल सुविधाएं देने में ही असफल हो जाये तो गोल्ड कॉम्प्लेक्स, साडी कलस्टर, नमकीन क्लस्टर जैसी चीज़े गरीब जनता को चिढ़ाती रहेगी ।
अमीरों की योजनाओं पर करोड़ो खर्च मगर गरीब के लिए पानी के पैसे भी निगम के पास नही, चुनाव में सबक सिखाएगी जनता
लोगो का कहना हैं की निगम अपने बड़े बड़े प्रोजेक्ट के लिए करोडो रुपये खर्च करती हैं। मगर बात जब गरीब लोगो को पानी जैसी मुलभुत सुविधाए देने की आती हैं तो निगम के पास इतना धन भी नहीं रहता की वो लोगो के पीने का पानी उपलब्ध करवा सके। जनता निगम प्रशासन के इस निर्णय से बहुत परेशान हो रही हैं। और लोगो का कहना हैं की इस बार निगम चुनाव में जनता इन्हें सबक सिखाएगी।
विज्ञापन और सजावट पर करोडो खर्च कर रही हैं निगम
रतलाम नगर निगम लाखो रुपये विज्ञापन में, शहर की सजावट और सफाई में खर्च कर रही हैं और उन्हें ये करना भी चाहिए। ये निगम के कार्यो में आता हैं मगर जब निगम लोगो को बुनियादी सुविधाओ देने में भी असफल हो तो नैतिकता के आधार पर इतना रूपया खर्च करने का अधिकार भी निगम को नही होना चाहिए।