राइजिंग न्यूज़/रतलाम रतलाम में जिला दूध उत्पादन संघ की मीटिंग का आयोजन शहर के प्राचीन…

रतलाम, भारतीय जनता पार्टी की डॉ मोहन यादव सरकार में मध्यप्रदेश में दलितों,आदिवासियों ,पिछड़े वर्गों,…

वीर मलखान की भक्ति और रणकौशला देवी का अद्भुत मंदिर

भिंड, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के भिंड जिले के दबोह कस्बे से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमाहा गांव में विराजी मां रणकौशला देवी का मंदिर एक हजार साल पुराना है। यह मंदिर वीर योद्धा मलखान सिंह की भक्ति और माता हिंगलाज देवी के आशीर्वाद से जुड़ी ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

मंदिर का इतिहास 11वीं शताब्दी में बुंदेलखंड के वीर योद्धाओं आल्हा-उदल के चचेरे भाई मलखान से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि मलखान सिंह की माता तिलका देवी, मां हिंगलाज की उपासक थीं, और वह पाकिस्तान में स्थित हिंगलाज शक्ति पीठ के दर्शन करना चाहती थीं। जब मलखान सिंह अपनी माता के साथ वहां पहुंचे, तो मां हिंगलाज ने मलखान को दर्शन दिए और उनके साथ आने का वचन दिया। मां ने यह शर्त रखी कि वह जहां बैठेंगी, वहीं विराजमान हो जाएंगी।

मलखान सिंह और मां रणकौशला देवी

मलखान सिंह मां हिंगलाज को अपने साथ सिरसा गढ़ की रियासत में लेकर जा रहे थे। लेकिन रास्ते में गुरु गोरखनाथ के आग्रह पर मां अमाहा गांव के पास उतर गईं और यहीं विराजमान हो गईं। इस स्थान पर वीर मलखान सिंह ने मंदिर का निर्माण करवाया, और यहां मां का भव्य स्वरूप स्थापित किया। यहां के लोग मां को रणकौशला देवी या रेहकोला देवी के नाम से पूजते हैं।

रणकौशला देवी की महिमा और श्रद्धा

मां रणकौशला देवी को शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। वीर मलखान सिंह जब भी किसी युद्ध के लिए जाते थे, मां का आशीर्वाद लेकर रणभूमि में उतरते थे। माना जाता है कि पृथ्वीराज चौहान से हुए युद्ध में मां रणकौशला के आशीर्वाद से मलखान सिंह ने चौहान को हराया और कैद भी किया था, हालांकि गुरु गोरखनाथ के आदेश पर उन्हें मुक्त कर दिया गया।

अदृश्य पूजा का रहस्य

मां रणकौशला देवी के मंदिर के अदृश्य पूजा का रहस्य आज भी कायम है। मान्यता है कि ब्रह्ममुहूर्त में सबसे पहले वीर मलखान सिंह के सूक्ष्म शरीर के रूप में दर्शन होते हैं, और मां रणकौशला देवी सबसे पहले उन्हें दर्शन देती हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार, जब भी मंदिर के पट खोले जाते हैं, दहलीज पर पूजा के फूल और जल पहले से चढ़े मिलते हैं।

भव्य निर्माण और श्रद्धालुओं की आस्था

मां रणकौशला देवी के भव्य स्वरूप को 1998 में श्रीनगर से आए कारीगरों द्वारा अष्टधातु और स्वर्ण से तैयार किया गया, जिससे मां की प्रतिमा हिंगलाज माता की छवि जैसी प्रतीकात्मक हो गई। इस मंदिर में श्रद्धालु विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं, और उनकी मनोकामनाएं पूरी होने पर पालना चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती है।

मां रणकौशला देवी का मंदिर देश-विदेश से श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां की धार्मिक मान्यताओं और चमत्कारिक घटनाओं के चलते श्रद्धालु पूरे वर्ष माता के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।

The post वीर मलखान की भक्ति और रणकौशला देवी का अद्भुत मंदिर: एक हजार साल से अधिक पुराना है इतिहास appeared first on MP Samachar – MP Samachar, मध्य प्रदेश समाचार, Latest MP Hindi News, मध्यप्रदेश न्यूज़.

Share.

संपादक, राइजिंग न्यूज़ संपर्क करे : risingnews.in@gmail.com

Leave A Reply

error: Content is protected !!